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बाल श्रम पर बड़ी कार्रवाई, अर्थ मेट कंपनी व भोजनालय पर छापा, 7 बच्चे मुक्त

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धरसींवा। 

क्षेत्र के कपसदा स्थित अर्थ मेट कंपनी और एक भोजनालय में बाल श्रम का बड़ा मामला सामने आया है। जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रम विभाग, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग एवं एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन (बचपन बचाओ आंदोलन) की एक संयुक्त टीम ने धरसींवा क्षेत्र के श्रमिक कॉलोनी और फैक्ट्री में छापेमारी की। इस कार्रवाई में कुल 7 बाल श्रमिकों को काम करते हुए पाया गया, जिन्हें तत्काल मुक्त कराया गया।

 

कपसदा की अर्थ मेट कंपनी पर गंभीर आरोप

कपसदा स्थित अर्थ मेट कंपनी के प्रबंधन पर मजदूरों के साथ अन्याय और शोषण के गंभीर आरोप लगे हैं। हाल ही में हुई एक घटना में, कंपनी प्रबंधन द्वारा उचित कार्रवाई न करने से यह स्पष्ट होता है कि वे इस मामले में दूध के धुले नहीं हैं। जानकारी के अनुसार, यदि प्रबंधन सही होता, तो वह तुरंत कार्यवाही करता और पीड़ित बच्ची को मुआवजा देता।

छापेमारी में सामने आया शोषण का सच

तहसीलदार धरसींवा बाबूलाल कुर्रे और उप पुलिस अधीक्षक नंदिनी ठाकुर के नेतृत्व में हुई इस जांच के दौरान टीम ने फैक्ट्री के अंदर कुछ बाल श्रमिकों को काम करते हुए पाया, जिन्हें तुरंत वहां से हटाया गया। इन बाल श्रमिकों ने पूछताछ में बताया कि लेबर ठेकेदार तिवारी उन्हें फैक्ट्री में रोजाना 12-12 घंटे काम कराता है और पैसा भी कम दिया जाता है। श्रम निरीक्षक दीपक सोनवानी ने पुष्टि की है कि ठेकेदार द्वारा श्रम कानूनों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।

भोजनालय में भी मिले मासूम मजदूर

केवल फैक्ट्री ही नहीं, बल्कि फैक्ट्री के समीप संचालित प्रतिष्ठान अन्नपूर्णा भोजनालय एवं स्वीट्स में भी 02 बालकों को बाल श्रम करते पाया गया। इन बालकों को भी बाल श्रम से मुक्त कराया गया।

प्रबंधन पर गंभीर सवाल, FIR की तैयारी

जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारी (गैर संस्थागत देखरेख) संजय निराला ने बताया कि फैक्ट्री में निरीक्षण के दौरान 05 बाल श्रमिक मिले, जो विधिसम्मत नहीं है। बाल श्रमिकों को नियोजित करने वाले नियोक्ता, ठेकेदार और फैक्ट्री के संचालक के विरुद्ध किशोर न्याय (बालकों के देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 तथा बाल एवं किशोर श्रम (निषेध एवं विनियमन) अधिनियम, 1986 में निहित प्रावधान के तहत कार्रवाई हेतु थाना धरसींवा से प्राथमिकी दर्ज करने के लिए एसोसिएशन फॉर वॉलंटरी एक्शन के राज्य प्रमुख विपिन ठाकुर द्वारा आवेदन प्रस्तुत किया गया है। इसी तरह, अन्नपूर्णा भोजनालय एवं स्वीट्स के नियोक्ता एवं संचालक के विरुद्ध भी उपरोक्त अधिनियमों के तहत कार्रवाई किए जाने हेतु थाना धरसींवा में पृथक से आवेदन प्रस्तुत किया गया है।

सामाजिक सुरक्षा से वंचित श्रमिक

जांच में यह भी सामने आया कि फैक्ट्री के कामगार मजदूरों को ESIC जैसे सामाजिक सुरक्षा लाभ भी नहीं मिल रहे हैं, जो सीधे तौर पर श्रमिक अधिकारों का उल्लंघन है। यह घटना श्रमिक अधिकारों के संरक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और उम्मीद है कि इस कार्रवाई से भविष्य में ऐसे मामलों में सुधार होगा और दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी।