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धान खरीदी से पहले प्रशासनिक संकट: डेटा एंट्री ऑपरेटरों की हड़ताल पर महंत ने सरकार को घेरा

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रायपुर।

प्रदेश में 15 नवंबर से शुरू होने वाली खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 की धान खरीदी से ठीक पहले बड़ा प्रशासनिक संकट खड़ा हो गया है। धान उपार्जन केन्द्रों में काम करने वाले डाटा एंट्री ऑपरेटरों की हड़ताल ने पूरे सिस्टम की गति धीमी कर दी है। इसी मुद्दे को लेकर छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिखकर सरकार को कठघरे में खड़ा किया है और हड़ताली कर्मचारियों की मांगों को उचित ठहराया है।

12 माह की जगह 6 माह वेतन का विरोध

 

नेता प्रतिपक्ष ने पत्र में कहा कि इस वर्ष धान खरीदी के लिए 2058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों के अंतर्गत 2739 खरीदी केन्द्र संचालित होंगे। धान खरीदी के पूर्ण कम्प्यूटरीकरण के चलते हर केंद्र में डाटा एंट्री ऑपरेटर तैनात किए जाते हैं। महंत के अनुसार, विगत वर्षों में इन ऑपरेटरों को पूरे 12 महीने का वेतन दिया जाता था, लेकिन इस वर्ष सरकार ने निर्णय लिया है कि केवल 6 महीने का वेतन विपणन संघ की निधि से दिया जाएगा। साथ ही, उनकी भर्ती आउटसोर्सिंग के माध्यम से की जाएगी। इस निर्णय से नाराज होकर प्रदेशभर के डाटा एंट्री ऑपरेटर हड़ताल पर चले गए हैं।

नियमितिकरण और पूरे वेतन की मांग

 

हड़ताली ऑपरेटरों की दो प्रमुख मांगें हैं। पहली, उन्हें पूरे 12 माह का वेतन भुगतान किया जाए और दूसरी, उनकी सेवाओं का नियमितिकरण किया जाए। महंत ने कहा कि डाटा एंट्री ऑपरेटर पिछले 18 वर्षों से निरंतर सेवाएं दे रहे हैं। ऐसे में उनकी सुविधाओं में कटौती करना ‘अन्यायपूर्ण और अव्यवहारिक’ है। उन्होंने तर्क दिया कि धान खरीदी के अलावा सहकारी समितियों में सालभर कई अन्य प्रशासनिक और तकनीकी कार्य होते हैं, जिनका संचालन बिना डाटा एंट्री ऑपरेटरों के संभव नहीं है।

‘केंद्र की राशि का उपयोग नहीं कर रही सरकार’

 

नेता प्रतिपक्ष ने यह भी आरोप लगाया कि भारत सरकार से धान खरीदी योजनांतर्गत ‘प्रशासकीय व्यय मद’ के अंतर्गत आने वाली बड़ी राशि का राज्य सरकार द्वारा उपयोग नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यदि भारत सरकार की गाइडलाइन के अनुसार इस मद का पूरा उपयोग किया जाए तो डाटा एंट्री ऑपरेटरों के साथ-साथ सहकारी समितियों के अन्य कर्मचारियों का वेतन भी दिया जा सकता है। महंत ने दावा किया कि राज्य सरकार की गलत नीति के कारण हर वर्ष 150 करोड़ रुपये से अधिक का आर्थिक लाभ छत्तीसगढ़ को नहीं मिल पाता।

तत्काल हस्तक्षेप की मांग

 

महंत ने मांग की कि सरकार तत्काल हस्तक्षेप कर हड़ताली कर्मचारियों की मांगों को स्वीकार करे, ताकि धान खरीदी प्रक्रिया सुचारु रूप से शुरू हो सके। उन्होंने सरकार से अपील की कि डाटा एंट्री ऑपरेटरों की सेवाएं प्रदेश के कृषि तंत्र की रीढ़ हैं, इसलिए उनकी समस्याओं का समाधान तत्काल जरूरी है। सरकार अब इस मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा क्योंकि धान खरीदी की शुरुआत में कोई भी व्यवधान प्रदेशभर में बड़े संकट का कारण बन सकता है।

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